मैं भी किसी का भक्त हुँ पक्का वाला पर वो कोई राजनेता नहीं, मैं भक्त हुँ महेन्द्र सिंह धौनी का। जी हां आप फैन भी कह सकते हैं पर आज के समय के हिसाब से भक्त शब्द परफेक्ट है। मेरे विचार से भक्त शब्द के मतलब उससे है कि जिसकी आप भक्ति करते हैं उसकी आप बुराई या आलोचना सुन न सके। मेरे साथ भी ऐसा ही है पर धोनी की आलोचना करने वालों को मैं ढोंगी और मुर्ख मानता हूँ।
सचिन अगर भगवान हैं तो धोनी किसी देवदूत से कम नहीं, अगर टीम इंडिया पांडव की सेना हैं तो धोनी उसके कृष्ण है, अगर टीम इंडिया दूध है तो धोनी मलाई है। अगर कोहली टीम के कप्तान हैं तो वही धोनी मैदान में कीपर,कोच और मेंटर की भूमिका में नजर आते हैं। धोनी की योगदान को आप सिर्फ रन से नहीं माप सकते।
चलिये बात करते हैं कुछ पीछे से, कुछ क्या इस सदी के शुरुआती वर्षों से। ये वो दौर था जब अगर 4-5 विकेट गिर गये तो लोग समझ जाते थे कि मैच तो गया, उस समय विकेट कीपर मतलब कीपर ही होता था जो 20-25 रन बना दे तो बहुत होता था वैसे राहुल द्रविड़ को जबरदस्ती कीपर बनाया गया था कुछ सालों तक।2000-2004 भारत ने कई विकट कीपर आजमाये पर कोई ठीक से टिक नहीं पाया। धोनी को जब पहली बांग्लादेश के खिलाफ खेलते देखा तो लगा कि बस यही है जिसकी हमें तलाश है, लम्बे बालों में वह बहुत स्टाइलिस्ट दिखते थे, मैं पहले मैच से ही यह कामना करता था कि इसके रन बनने चाहिए, शुरूआत की पारियों में तो ये न हो सका लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ अपने 5वें वनडे में उन्होंने बताया दिया कि वो क्या हैं।
जब तक लोग ये जान पाते, समझ पाते कि धोनी कौन है, कहा का है कैसा खेलता है तब तक धोनी टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की कर चुके थे, ऐसे खिलाड़ी अक्सर महानता को प्राप्त करते हैं जो करियर के शुरुआती दौर से ही जगह पक्की कर लेते हैं। धोनी की बैटिंग कलात्मक तो नहीं है लेकिन वह बेहद स्मार्ट बल्लेबाज हैं जो अपना विकेट गवाना नहीं चाहते यही कारण है कि नाबाद रहने का कीर्तिमान भी उनके ही पास है। उनका पहला लक्ष्य होता है कि वो 45 ओवर तक टिके रहे, फिर वो अपना हाथ खोलते हैं।
धोनी की एक और बात मुझे खास लगती है वो है उनका स्वार्थ से परे होना है, जब वो कप्तान थे वो चाहते तो तीसरे या चौथे नंबर पर उतरकर बैटिंग कर सकते थे एसा करते तो निश्चित ही उनके आज 12-13 हजार रन पूरे हो चुके होते पर उन्होंने नये खिलाड़ियों में भरोसा दिखाकर उन्हें ऊपर खिलाया, वैसे मै बहुत उत्साहित हूं कि जल्द ही वो 10000 रन वाले क्लब में शामिल हो जायेंगे, संभवतः वह उस क्लब के एकमात्र सदस्य होंगे जिसने 5-6 नंबर पर बल्लेबाजी इतने रन बनाए हैं। वैसे अगर धोनी की बैटिंग, कीपिंग व कप्तानी के आंकड़ों की बात की जायेगी तो कई पेज भर जायेंगे।
आस्टेलिया के खिलाफ पिछले मैच में हमने देखा कि कोहली बाउंड्री के पास फील्डिंग करने रहे हैं, ऐसा तभी हो सकता है जब आपकी टीम में धोनी जैसा खिलाड़ी हो, दरअसल उस समय आधी कप्तानी धोनी कर रहे थे। पिछले दशकों में टीम में कभी ऐसा नहीं देखा गया कि कप्तान व पूर्व कप्तान इतने कूल तरीके से टीम को सम्भाल रहे हो। दरअसल धोनी का कप्तानी छोड़ना एक मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ, एक तरफ जहां धोनी पर से दबाव है गया वही उनका अनुभव कोहली के काम आ रहा है, इस तरह टीम के पास दो कप्तान हैं। फील्ड प्लेसमेंट व गेंदबाजों से बातचीत धोनी ही ज्यादा करते हैं। DRS का तो मतलब ही Dhoni Review System हो गया है।
मेरी दिली इच्छा है कि धोनी इंग्लैंड में होने वाले 2019 विश्व कप के पहले ये घोषणा कर दे कि विश्व कप का फाइनल मैच उनके करियर का अंतिम मैच होगा, और फाइनल मैच में जब इंडिया जीते तो मैदान पर धोनी विजयी शाट मारे, छक्कों हो तो सोने पे सुहागा।। जब मैं 60-70 साल का हो जाउँगा तब मेरे व्यक्तित्व जीवन के अलावा धोनी से जुड़ी हुई बातें मैं अपने बच्चों के बच्चों को बताउंगा।