वर्तमान समय मे मै ये देख रहा हु कि पूरे भारतीय समाज का ध्रुवीकरण होता जा रहा है , कम से कम सोशल मीडिया पर तो ऐसा है ही , मै पूरे समाज को दो किनारों पर खड़ा हुआ पा रहा हु ; ज़ाहिर सी बात है हमेशा कि तरह धार्मिक आधार पर ही बंटे हुये हैं । जब भी कोई घटना होती है तो शुरू मे किसी से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है क्योंकि उसे तब तक ये मालूम नहीं होता है कि इस पर क्या प्रतिक्रिया देनी है , उसे तब तक ये घटना समान्य लगती है जब तक किसी राजनीतिक रूप से जुड़े व्यक्ति का ट्वीट या कोई पोस्ट नहीं आ जाता; एक बार समझ आने पर की इस पर क्या स्टैंड लेना है वो आक्रामक हो जाते हैं जैसे की वो सैनिक हैं और सेनापति के ‘आक्रमण’ बोलने का इंतज़ार कर रहे थे । और फिर वो आग उगलने लगते हैं दूसरा पक्ष भी प्रतिक्रिया स्वरूप हमले शुरू कर देता जिसका  अंत मे कही भी कोई सार्थक अंत नहीं मिलता फिर धीरे-धीरे आग ठंडी पड़ जाती है पर बुझती नहीं है ; वो अगली हवा का इंतज़ार करती है ।

मै एक बात समझ नहीं पाता हु कि लोगों ने अपना दिमाग प्रयोग करना बंद कर दिया है क्या, या फिर उन्हे ये पता ही नहीं कि दिमाग का प्रयोग भी करना होता है ;ये तो ऐसे ही हो गया जैसे आप बिना मंजिल कि बस मे बैठ गए है और ड्राईवर के भरोसे हैं कि जहा वो ले जाएगा वह चले जाएंगे , ड्राईवर खाई मे भी गिराने जा रहा होगा तो यही बोलेंगे कि   ” हा भाई सही जा रहा है , स्पीड थोड़ी बढ़ा लेना खाई मे गिरने के पहले” । जबकि वास्तव मे ऐसा नहीं है आप बस मे जब वाकई मे जाते है तो उसको गरियाते जाते है कि ” कि भैया क्या कर रहे हो ,पी राखी है क्या “। मेरे हिसाब से अंतर है कि जब आप अपने बारे मे सोचते हो तो अपनी चिंता करते हो अपने परिवार कि चिंता करते हो ; और आपकी हद भी वही तक आती है । जैसे ही आप सोशल मीडिया पर आते है आप देश के बारे मे बात तो करते हैं पर चूंकि आप कि हद अपने परिवार तक ही है इसलिए आप उसके आगे सोच नहीं पते , आप देश कि चिंता नहीं करते देश मे आग भी लग जाए तो फरक नहीं पड़ता , आप जब वहाँ आग लगा रहे होते है तो दिमाग मे यही रहता है कि इससे मेरे घर मे आग नहीं लगेगी । हम सब को ये समझना होगा कि देश हम सबसे बना है , हम सब कही न कही जुड़े हुये है जैसे मानव शरीर के सभी कोशिकाए और ऊतक । मानव शरीर के सभी कोशिकाए और ऊतक मिलकर काम करते हैं अगर पैर कि कोई कोशिका खराब होगी तो उसका असर सर कि कोशिका पर भी पड़ेगा ।

हम जब भी बात करते हैं तो हमेशा एक तरफ खड़े होकर बात करते हैं कभी दूसरी तरफ जाकर उस बात को समझने का प्रयास नहीं करते हैं या सच कहें तो करना ही नहीं चाहते है । अँग्रेजी के 6 अक्षर को एक तरफ से देखने पर एक पक्ष  उसे 6 पढ़ेगा जबकि उसी को दूसरा पक्ष दूसरी तरफ खड़ा होकर उसे 9 कहेगा ; आपको हर बात समझने के लिए अपने दिमाग का प्रयोग करना ही पड़ेगा  ,बाकी आग तो लगी ही है; और आपको ये अहसास है या नहीं मुझे नहीं पता पर ये सत्य है कि आग आपको नहीं पहचनती वो किसी को नहीं पहचानती, वह सबको एक समान दृष्टि से देखते हुये बिना भेदभाव करते हुये सब खाक करते हुये चली जाती है , भेदभाव करना मनुष्यों का गुण है न कि प्रकृति का । वो भूकंप भी लाती है तो सबको जमींजद कर देती है और तूफान मे सबको उड़ा देती है बिना कोई लिस्ट बनाए ।

अगर आप पृथ्वीराज चौहान कि तारीफ मे कसीदे पढ़ते हैं और जयचंद का जिक्र आने पर चुप्पी साध लेते हैं तो आप ढोंगी है Hypocrite हैं , क्योंकि आप कहे चाहे न कहे इसी राजपूत शासक जय चंद कि वजह से भारत मे इस्लामिक प्रभाव ने कदम जमाये थे , अब आप मुस्लिम शासकों कि बात करते नहीं थकते जयचंद को गालियां नहीं देते । इसी तरह जब आप अब्दुल कलाम कि बात करते हैं ,जिन्होने रॉकेट और मिसाइल के क्षेत्र मे भारत को यूरोप और अमेरिका के बराबर ला कर खड़ा कर दिया , तो हमे अफजल गुरु की भी बात करनी पड़ेगी , अगर ऐसा नहीं करते तो आप भी ढोंगी हैं ; समाज मे हर तरह के लोग हैं आप नेताओं के कहने पर क्रिया-प्रतिक्रिया नहीं कर सकते आप को अपनी सोच अपनी,अपनी विचारधारा बनानी ही होगी । अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो आप दोनों ही तरह के लोग देश और समाज के दुश्मन है , भले ही आपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के बायो मे कुछ भी लिख रखा हो, कोई फरक नहीं पड़ता।

जैसा किसी ने कहा है-

अपने शब्दों को ऊंचा करो, न कि आवाज़ को ; फूल बारिश से उगते हैं न कि तूफानो से ।

Advertisement

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s